जलियांवाला बाग हत्याकांड पर निबंध, कहानी, |

जलियांवाला बाग हत्याकांड


•रोलेट एक्ट के विरोध में जगह-जगह जनसभाएं आयोजित की जा रही थी। इसी दौरान सरकार ने पंजाब के लोकप्रिय नेता सैफुद्दीन किचलु और सत्यपाल को गिरफ्तार कर लिया।
•इसी गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक जनसभा आयोजित की गई, जिस पर जनरल डायर ने गोली चलवा दी, से सैकड़ों लोग मारे गए।
•इस हत्याकांड में हंसराज नामक एक भारतीय ने डायर का सहयोग किया था। अंग्रेज सरकार ने बढ़ते जन असंतोष के कारण लोर्ड हण्टर की अध्यक्षता में हण्टर आयोग गठित किया।
•भारतीय सदस्य शंकरन ने इस हत्याकांड के विरोध में वायसराय की कार्यकारिणी परिषद से इस्तीफा दे दिया, रविंद्र नाथ टैगोर ने शुद्ध होकर अपनी सर की उपाधि , महात्मा गांधी ने केसर ए हिंद की उपाधि तथा जमनालाल बजाज ने रायबहादुर की उपाधि वापस कर दी। 
•13 मार्च 1940 को सरदार ऊधम सिंह ने कैक्सटन हॉल मैं एक मीटिंग को संबोधित कर रहे जनरल ओ डायर की गोली मारकर हत्या कर दी।

खिलाफत आंदोलन

•प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन और उसके सहयोगियों द्वारा तुर्की पर किए गए अत्याचारों ने मुसलमानों को गहरा आघात पहुंचाया।
•इसके परिणाम स्वरूप 1919 में अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी का गठन किया गया। इस आंदोलन में मोहम्मद अली और शौकत अली ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
•नवंबर 1919 में दिल्ली में अखिल भारतीय खिलाफत सम्मेलन में गांधी जी को सम्मेलन का अध्यक्ष चुना गया।

असहयोग आंदोलन

•लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में हुए कोलकाता अधिवेशन में गांधी जी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव पारित हुआ।
•इस आंदोलन के दौरान विद्यार्थियों द्वारा शिक्षण संस्थाओं का बहिष्कार, वकीलों द्वारा न्यायालयों का बहिष्कार और गांधी जी द्वारा अपनी केसर ए हिंद की उपाधि वापस की गई।
•17 नवंबर 1921 को प्रिंस ऑफ वेल्स के भारत आगमन पर संपूर्ण भारत में सार्वजनिक हड़ताल का आयोजन किया गया।
फरवरी 1922 में गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने की योजना बनाई।
•परंतु उसके पूर्व ही उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित चौरी चौरा नामक स्थान पर 5 फरवरी 1922 को आंदोलनकारी भीड़ ने पुलिस के 22 जवानों को थाने के अंदर जिंदा जला दिया।
•इस घटना से गांधी जी अत्यंत आहत हो गए और उन्होंने 12 फरवरी 1922 को असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।
•आंदोलन समाप्त होते ही सरकार ने 10 मार्च 1922 को गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया और असंतोष बढ़ाने के अपराध में 6 वर्ष की कैद की सजा सुनाई।
•असहयोग आंदोलन की समाप्ति के पश्चात 1923 में मोतीलाल नेहरू, सी.आर. दास एवं एन.सी. केलकर ने इलाहाबाद के स्वराज पार्टी की स्थापना की।
•स्वराज पार्टी का उद्देश्य था कांग्रेस के अंदर रहकर चुनावों में हिस्सा लेना और विधान परिषद में स्वदेशी सरकार के गठन की मांग उठाना तथा मांगों के न मनाने पर विधान परिषद की कार्यवाही में बाधा डालना।
•1925 में विट्ठलभाई पटेल का सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली का अध्यक्ष चुना जाना स्वराजियों की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। 1925 में सी. आर. दास की मृत्यु हो जाने से स्वराज्य पार्टी शीतल पड़ गई।

साइमन कमीशन

•ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व में 7 सदस्यों वाले आयोग की स्थापना की, सभी सदस्य ब्रिटेन के थे। 8 नवंबर 1927 को इस आयोग की स्थापना की घोषणा हुई।
•इस आयोग का कार्य 1919 के अधिनियम की समीक्षा कर इस बात की सिफारिश करना था कि क्या यहां के लोगों को अधिक संविधानिक अधिकार दिए जाएं और यदि दिए जाएं तो उनका स्वरूप क्या हो?
•इस आयोग में किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया जिसके कारण भारत में इस कमीशन का तीव्र विरोध हुआ।
•3 फरवरी 1928 को जब आयोग के सदस्य मुंबई पहुंचे तो इसके खिलाफ एक अभूतपूर्व हड़ताल का आयोजन किया गया। काले झंडे तो था साइमन वापस जाओ के नारे लगाए गए।
•आयोग के विरोध के कारण लखनऊ में जवाहरलाल नेहरू, गोविंद बल्लभ पंत आदि ने लाठियां खाई। लाहौर में लाठी की गहरी चोट के कारण लाला लाजपत राय की अक्टूबर 1928 में मृत्यु हो गई।
•साइमन कमीशन ने 27 मई 1930 को अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की।

नेहरू रिपोर्ट

•साइमन कमीशन का बहिष्कार करने पर लॉर्ड वर्कन हैड ने भारतीयों को संविधान बनाने की चुनौती दी।
•इस चुनौती को स्वीकारते हुए 1928 में पं. मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक 7 सदस्य समिति गठित हुई।
•इस समिति ने 28 अगस्त 1928 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसे नेहरू रिपोर्ट के नाम से जाना जाता है।
•मुस्लिम लीग के अध्यक्ष मोहम्मद अली जिन्ना ने नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया।

जिन्ना फार्मूला

•मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना ने नेहरू रिपोर्ट में मुसलमानों के लिए प्रथम निर्वाचन मंडल की सुविधा ने दिए जाने के कारण मुसलमानों की 14 मांगों का प्रपत्र जारी किया, जिसे जिन्ना का 14 सूत्रीय फार्मूला कहा जाता है।
•इनमें प्रमुख मांगे थी मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन की सुविधा, केंद्रीय तथा प्रांतीय मंत्री मंडलों में मुसलमानों के लिए एक तिहाई प्रतिनिधित्व, मुस्लिम बहुमत वाले प्रांतों का पूनर्गठन, राजे की सभी सेवाओं में मुसलमानों के लिए पदों का आरक्षण आदि।

बारदोली सत्याग्रह

•गुजरात में स्थित बारदोली के किसानों ने सरकार द्वारा बढ़ाए गए 30 % कर के विरोध में वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में सत्याग्रह किया। सरकार ने 30% लगान वृद्धि को वापस लिया तथा इसे 6.3% रहने दिया।
•सत्याग्रह की सफलता के बाद वहां की महिलाओं ने पटेल को सरदार की उपाधि प्रदान की।

कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन

•1929 के लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की जिसमें पूर्ण स्वराज को अंतिम लक्ष्य माना गया। 31 दिसंबर 1929 को रावी नदी के तट पर तिरंगा झंडा फहराया गया।
•यह भी निश्चित किया गया कि हर साल 26 जनवरी को स्वाधीनता दिवस मनाया जाएगा।

दांडी यात्रा

•इसे नमक सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है। अपने 78 अनुयायियों के साथ गांधी जी ने साबरमती आश्रम से 12 मार्च 1930 को दांडी के लिए यात्रा आरंभ की।
•24 दिन की लंबी यात्रा के पश्चात 5 अप्रैल 1930 को दांडी में पहुंचकर गांधीजी ने सांकेतिक रूप से नमक कानून तोड़ा और सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ किया।
•पश्चिमोत्तर प्रांत में खान अब्दुल गफ्फार खान के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आंदोलन संचालित रहा। उनके द्वारा गठित खुदाई खिदमतगार संगठन ने इस आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
•जून 1930 में कांग्रेस और उससे संबद्ध सभी संगठन गैर कानूनी घोषित कर दिए गए तथा जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी को गिरफ्तार कर लिया गया।

प्रथम गोलमेज सम्मेलन

•यह सम्मेलन 12 नवंबर 1930 से 13 जनवरी 1931 तक लंदन में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन की अध्यक्षता ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैक्डोनाल्ड ने की।
•इसमें पहली बार भारतीयों को अंग्रेजों ने बराबरी का दर्जा प्रदान किया।
•इस सम्मेलन में उदारवादी दल, मुस्लिम लीग, हिंदू महासभा, दलित वर्ग, व्यापारी वर्ग आदि के प्रतिनिधि शामिल थे।
•मिलन कांग्रेस के बहिष्कार के फलस्वरूप फीका साबित हुआ।

गांधी इर्विन समझौता

•महात्मा गांधी और वायसराय इर्विन के मध्य 5 मार्च 1931 को एक समझौता हुआ जिसे गांधी इर्विन समझौते के नाम से जाना जाता है।
•इस समझौते के फल स्वरुप कांग्रेस ने अपनी तरफ से सविनय अवज्ञा आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की तथा गांधीजी द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने को तैयार हुए।
•इसे दिल्ली समझौता भी कहा जाता है।

द्वितीय गोलमेज सम्मेलन

•यह सम्मेलन 7 सितंबर 1931 से 1 दिसंबर 1931 तक लंदन में हुआ। गांधी जी ने कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में इस में भाग लिया।
•यह सम्मेलन सांप्रदायिक समस्या पर विवाद के कारण पूर्णतः असफल हो गया। लंदन से वापस आकर गांधीजी ने पुनः सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ किया।

सांप्रदायिक पंचाट

•16 अगस्त 1932 को विभिन्न संप्रदायों के प्रतिनिधित्व के विषय पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैक्डोनाल्ड ने कम्युनल अवार्ड जारी किया।
•इस पंचाट में पृथक निर्वाचन पद्धति को न  केवल मुसलमानों के लिए जारी रखा गया, अपितु इसे दलित वर्गों पर भी लागू कर दिया गया।
•इसके विरोध में गांधी जी ने जेल में ही 20 सितंबर 1932 को आमरण अनशन प्रारंभ कर दिया।
•मदन मोहन मालवीय, डॉ. राजेंद्र प्रसाद और राजगोपालाचारी के प्रयत्नों से 5 दिन पश्चात 25 सितंबर 1932 को गांधीजी और दलित नेता अंबेडकर में पूना समझौता संपन्न हुआ।

पूना समझौता

•गांधीजी और अंबेडकर के मध्य 25 सितंबर 1932 को एक समझौता हुआ जिसे पूना समझौता के नाम से जाना जाता है।
•समझौते के अंतर्गत अंबेडकर ने हरिजनों के पृथक प्रतिनिधित्व की मांग को वापस ले लिया। संयुक्त निर्वाचन के सिद्धांत को स्वीकारा गया। साथी हरिजनों के लिए सुरक्षित 75 स्थानों को बढ़ाकर 148 कर दिया गया। केंद्रीय विधानमंडल  में 18% सीटे दलित वर्ग हेतु आरक्षित हो गई।

तृतीय गोलमेज सम्मेलन

•17 नवंबर 1932 से 24 दिसंबर 1932 तक आयोजित यह सम्मेलन लंदन में कांग्रेस के बहिष्कार के फल स्वरुप फीका साबित हुआ। इस सम्मेलन में भारत सरकार अधिनियम, वर्ष 1935 को अंतिम रूप दिया गया।

क्रांतिकारी गतिविधियां

•1922, गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन समाप्त कर दिए जाने के पश्चात देश में राजनीतिक गतिविधियों के अभाव में उत्साही नवयुवक निराशा में पुनः क्रांतिकारी गतिविधियों की ओर उन्मुख हुए।
•अक्टूबर, 1924 में शचींद्र सान्याल, जोगेश चंद्र चटर्जी, राम प्रसाद बिस्मिल और चंद्रशेखर आजाद ने कानपुर में एक क्रांतिकारी संस्था हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की।
•यह संस्था द्वारा 9 अगस्त 1925 को उत्तर रेलवे के लखनऊ सहारनपुर संभाग के काकोरी नामक स्थान पर ट्रेन पर डकैती कर सरकारी खजाना लूटा गया था। यह घटना काकोरी कांड के नाम से चर्चित है।
•सरकार ने काकोरी कांड के षड्यंत्र में राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला, रोशन लाल और राजेंद्र लाहिड़ी को फांसी दी।
•चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में सितंबर 1928 को दिल्ली में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की गई थी।
•साइमन कमीशन के विरोध के समय लाला लाजपत राय पर लाठियों से प्रहार करवाने वाले सहायक पुलिस अधीक्षक साण्डर्स कि 30 अक्टूबर 1928 को भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और राजगुरु द्वारा की गई हत्या हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की क्रांतिकारी गतिविधि थी।
•हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के दो सदस्यों ने 8 अप्रैल 1929 को केंद्रीय विधानमंडल में बहस के दौरान बम फेंका जिसका उद्देश्य सरकार को अपनी आवाज सुनने पर विवश करना था।
•23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को ब्रिटिश सरकार द्वारा फांसी दी गई। तत्पश्चात हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के एकमात्र बचे सदस्य चंद्रशेखर आजाद 27 फरवरी 1931 को पुलिस के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए।
•बंगाल में सूर्य सेन ने इंडियन रिपब्लिकन आर्मी की स्थापना की थी। यह संस्था चटगांव में सक्रिय थी। इसने 1930 में चटगांव शस्त्रागार लूट को अंजाम दिया।
•16 फरवरी 1931 को राजद्रोह के आरोप में सूर्य सेन बंदी बना लिए गए तथा 12 फरवरी 1934 को उन्हें फांसी दे दी गई।
•ब्रिटिश सरकार ने क्रांतिकारियों का भयंकर दमन किया, जिसके फलस्वरूप 1932 तक क्रांतिकारी आंदोलन बिखर गया।
•1943 में आजाद हिंद फौज का पुनर्गठन सिंगापुर में सुभाष चंद्र बोस ने किया।

1937 के चुनाव

•1937 में प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव हुए। कांग्रेस को 6 प्रांतों संयुक्त प्रांत, मद्रास, मध्य प्रदेश ,बरार, उड़ीसा तथा बिहार में पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ।

Post a Comment

0 Comments