जोशीमठ में सामरिक क्षेत्र तक दरारें, रातों को जमा देने वाली ठंड ने बढ़ाई मुश्किलें जानिए।

जमीन की दरारों से आ रही है, डरावनी आवाज जिसने नींदें उड़ाई जाने :

उत्तराखंड में चमोली जिले के जोशीमठ शहर में शुक्रवार रात से भूगर्भीय हलचल अचानक तेज हो गई। दरारों ने दिशा बदल ली है और धंसाव वाले स्थानों के नीचे से रात को गड़गड़ाहट के साथ वैसी ही तेज आवाजें सुनी गईं जैसी 7 फरवरी 2021 को रैणी में आपदा के बाद बाढ़ के वेग से उठी थीं। इसी के बाद विष्णुगाड पॉवर प्रोजेक्ट की टनल बंद हो गई थी। जोशीमठ में जमीन दीवारें फटने और जगह-जगह जलस्रोत फटने को लोग इसी आपदा और इसी प्रोजेक्ट से जोड़ रहे हैं। सरकार से इतर अधिकांश विशेषज्ञों की राय और पूर्व में बनी समितियों की रिपोर्ट भी इससे मेल खाती है। लोगों में खौफ इस कदर है। कि तापमान माइनस 1 डिग्री सेल्सियस होने के बावजूद लोग बच्चों के साथ घरों को छोड़कर खुले में रातें बिताने को मजबूर हैं। भास्कर ने रैणी गांव से लेकर जोशीमठ तक ग्राउंड जीरो पर हालात का जायजा लिया।
जोशीमठ में सामरिक क्षेत्र तक दरारें, रातों को जमा देने वाली ठंड ने बढ़ाई मुश्किलें जानिए।

गेटवे ऑफ हिमालय कहे जाने वाले जोशीमठ से महज 20 किमी दूर बसे रैणी गांव से पहले तपोवन में एनटीपीसी हाइड्रो पावर की यह विवादित टनल शुरू होती है। 7 फरवरी 2021 को ग्लेशियर टूटने के बाद धौली गंगा और ऋषि गंगा नदियों में आई विकराल बाढ़ का पानी यहीं से टनल में घुसा था। भारी बोल्डरों व मलबे ने इसके मुहाने को सील कर दिया था। इन नदियों का संगम रैणी में होता है। धौली गंगा का विष्णुप्रयाग में संगम होता है, जो जोशीमठ से महज 3 किमी दूर है। इसी अलकनंदा के एक तट पर बसा है जोशीमठ शहर, जहां विवादित टनल का दूसरा सिरा अलकनंदा में खुलना प्रस्तावित है, लेकिन आपदा और तकनीकी बाधाओं के बीच टनल में शुक्रवार तक काम चल रहा था। इसमें रिसाव के कारण ही पानी अलकनंदा में गिर रहा है। जैसे हालात आज जोशीमठ में हैं, वैसा ही हाल 2007 में इसके ठीक सामने अलकनंदा के दूसरे छोर पर हिमालय की चोटी के नीचे बसे चाई गांव का था। स्थानीय लोग बताते हैं कि तब वहां विष्णुप्रयाग हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट की टनल बनाई जा रही थी और पूरा गांव बैठ गया था। जोशीमठ के लोगों को भी रात-दिन अनहोनी की आशंका सता रही है। कुछ घर-द्वार छोड़कर रिश्तेदारों के यहां पहुंच गए हैं, तो कुछ किराए के मकानों में। बाकी को प्रशासन जबरन राहत कैंपों में भेजने की तैयारी कर रहा है। पहले अलकनंदा के बहाव की क्रॉस दिशा में दरारें थीं, लेकिन नई दरारें वेग के विपरीत दिशा में हैं। पूर्व सभासद प्रकाश सिंह नेगी आशंका जताते हैं, 'आपदा के बाद टनल में फंसा पानी और मलबा इधर- उधर रास्ता बना रहा है। इसकी रफ्तार बढ़ने पर पानी किसी भी दिशा में फूट सकता है।'

सिंहदार, स्वीं बेलापुर, रविग्राम, खोन, गांधीनगर, सुनील गांव, ज्योतिर्मठ और नोग वार्डों में बच्चों के साथ लोग खुले आसमान में अलाव जलाकर रात काट रहे हैं। दीवारें दरकीं तो इमारतों की छतों को बांस-बल्लियों से रोका गया। जमीन के नीचे पानी के साथ पत्थर लुढ़कने की आवाजों ने लोगों की नींद छीन ली हैं। जेपी कॉलोनी के बैडमिंटन हॉल का फ्लोर दरारें पड़ने से धंस गया है। मारवाड़ी वार्ड में स्थित जेपी कंपनी की आवासी कॉलोनी के कई मकानों में दरारें आ गईं। कॉलोनी के पीछे पहाड़ी से रात में ही अचानक मटमैले पानी का रिसाव भी शुरू हो गया। बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष अतुल सती का कहना है, 'रिसने वाले पानी का रंग और गंध रैणी आपदा में बहकर आने वाले पानी और मलबे जैसा है। इसकी जांच कराई जाए तो पता चल जाएगा कि इसका कनेक्शन टनल से है।'

चिंता: हाई-वे, आईटीबीपी कैंप में दरारें, देश की सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है जाने :

चीन सीमा पर बसे उत्तराखंड के अंतिम गांव माणा की ओर जाने वाले हाई-वे और आईटीबीपी कैंप के बाहर भी सड़क में चौड़ी दरारें बन गई हैं। ये इलाका सामरिक रूप से अहम है। यहां से भारत-तिब्बत सीमा (चीन के अधिकार क्षेत्र) 100 किमी दूर है। हेमकुंड साहिब, औली, फूलों की घाटी आदि जगह जाने के लिए यात्रियों को जोशीमठ से गुजरना पड़ता है। यह 6150 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जो बद्रीनाथ का प्रवेश द्वार भी है। विशेषज्ञ का कहना है कि भू- धंसान से देश की सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है। क्योंकि यहां सेना का ब्रिगेड मुख्यालय है।

सतर्कताः जोशीमठ डेंजर जोन घोषित, डीएम ने माना- हालात बेहद गंभीर हैं जाने हालात :

उत्तराखंड सरकार ने जोशीमठ को डेंजर जोन घोषित कर दिया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया और तहसील परिसर में आंदोलित पीड़ितों को स्थायी तौर पर शिफ्ट करने का फैसला लिया है। उन्होंने जोशीमठ के नजदीक पीपलकोटी और गौचर में जल्द से जल्द आवास बनाकर देने की बात कही है। गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार ने 'भास्कर' से माना है कि जोशीमठ में हालात बेहद गंभीर हैं। बचाने के लिए बहुत तेजी से काम करने की जरूरत है। उन्होंने एक्सपर्ट्स की टीम के साथ मौके का दौरा किया है।

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