चीन में कोविड प्रतिबंध हटने का दुनिया पर असर पड़ सकता है, तेल के मूल्य और महंगाई बढ़ सकती है।

चीन में कोविड प्रतिबंध हटने का दुनिया पर असर पड़ सकता है, तेल के मूल्य और महंगाई बढ़ सकती है।

चीन में निवेश कम होगा लेकिन उसे निर्यात करने वाले देशों को फायदा जाने :

पिछले तीन वर्ष में ज्यादातर समय (कुल 1016 दिन) चीन के दरवाजे दुनिया के लिए बंद रहे। 8 जनवरी को चीन के द्वारा अपनी सीमाएं खोलने का व्यावसायिक, बौद्धिक और सांस्कृतिक संपर्कों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। इसका मिलाजुला असर होने की संभावना ज्यादा है। चीन की स्थिति में सुधार होने पर कच्चे तेल के मूल्य बढ़ेंगे। महंगाई में बढ़ोतरी हो सकती है। यूरोप को गैस सप्लाई में मुश्किल खड़ी होगी। वर्ष की पहली तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था सिकुड़ सकती है। लेकिन, अंततः आर्थिक गतिविधि तेजी से बढ़ेगी। इसका प्रभाव थाईलैंड के समुद्र तटों, एपल, टेस्ला जैसी कंपनियों और विश्व के सेंट्रल बैंकों पर महसूस किया जाएगा। 

चीन का पुनः खुलना 2023 की सबसे बड़ी आर्थिक घटना होगी। कुछ अर्थशास्त्रियों का अनुमान है, 2024 के पहले तीन महीनों में जीडीपी 2023 की पहली तिमाही से दस प्रतिशत अधिक रहेगी। चीन में पाबंदियां हटना उन देशों के लिए अच्छी खबर है जो चीनियों के खर्च पर निर्भर हैं। फुकेट में होटलों और हांगकांग में बड़े शॉपिंग मॉल को चीनियों के घर में बंद रहने का नुकसान उठाना पड़ा है। अब ट्रैवल वेबसाइट पर भावी यात्रियों की भीड़ है। 27 दिसंबर को ट्रिपडॉटकॉम पर बुकिंग एक दिन पहले के मुकाबले 250% अधिक थी। हांगकांग की जीडीपी में 8% वृद्धि हो सकती है। निर्यातक देशों को फायदा होगा। चीन दुनिया का बीस फीसदी तेल, आधा रिफाइंड पीतल, निकल, जिंक और सात फीसदी लौह अयस्क खरीदता है।

हर दिन तीन करोड़ 70 लाख लोग संक्रमित हो रहे :

चीन में स्थिति डरावनी है। वायरस तेज गति से फैल रहा है। जीरो कोविड प्रतिबंधों के समय सरकार दवाइयों के स्टॉक, बुजुगों के ज्यादा वैक्सीनेशन और मरीजों के इलाज जैसे मामलों में ठीक से तैयारी नहीं कर पाई है। इकोनॉमिस्ट का मॉडल बताता है, अगर वायरस बेकाबू रहा तो चीन में आने वाले महीनों में 15 लाख लोगों की मौत होगी। सोशल मीडिया पर लोग संक्रमण को सुनामी बता रहे हैं। शंघाई पब्लिक हेल्थ क्लीनिकल सेंटर के डॉक्टर मानते हैं, शंघाई में 70% लोग संक्रमित हैं। सरकारी मीडिया ने एक विशेषज्ञ के हवाले से बताया है कि बीजिंग में 80% व्यक्ति संक्रमण के शिकार हैं।

चीन की वापसी का कुछ देशों पर खराब असर पड़ेगा। विश्व के कुछ हिस्सों में विकास दर बढ़ेगी लेकिन महंगाई या मुद्रास्फीति में भी बढ़ोतरी होगी। सेंट्रल बैंक पहले ही तेज गति से ब्याज दरें बढ़ा चुके हैं। अगर चीन के खुलने से मूल्यों पर दबाव पड़ता है तो दुनिया के सेंट्रल बैंकों को कड़े कदम उठाना पड़ेंगे। पश्चिमी देशों सहित वस्तुओं का आयात करने वाले देशों में ऐसा होने का खतरा है। तेल बाजार पर गौर कीजिए। चीन में बढ़ती मांग से यूरोप और अमेरिका में विकास की गति धीमी पड़ने से मांग कम होने की भरपाई हो सकेगी। गोल्डमैन सॉक्स बैंक के अनुसार चीन की स्थिति तेजी से सुधरने पर ब्रेंट क्रूड तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल हो सकती है। यह मौजूदा मूल्य से 25% अधिक है। तेल के बढ़ते मूल्य महंगाई रोकने में बाधक हैं। चीन के फिर खुलने से यूरोप को गैस में दिक्कत हो सकती है। जीरो कोविड के कारण चीन में गैस की मांग कम रही। कीमतें कम होने के कारण 2022 में यूरोप के लिए गैस स्टोर करना सस्ता रहा। चीन की शानदार रिकवरी से गैस के आयात में होड़ बढ़ेगी। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने आगाह किया है कि 2023 की सर्दियों में रूस यूरोप को गैस की सप्लाई पूरी तरह रोक सकता है। इससे यूरोप में गैस की 7% तक कमी हो जाएगी।

चीन के लिए भी महामारी बाद की सामान्य स्थिति का अर्थ पहले जैसी स्थिति की बहाली नहीं होगा। सरकार द्वारा सख्ती से जीरो कोविड नीति लागू करने और बिना तैयारी के वापस लेने के कारण कई निवेशकों और कंपनियों को चीन अब जोखिम भरा दांव लगता है। कुछ कंपनियां तो दूसरे देशों में अधिक लागत पर मैन्युफैक्चरिंग करना चाहती हैं। नई फैक्टरियों में निवेश धीमा पड़ा है। कई कंपनियों ने अपना कारोबार समेट लिया है। महामारी के वर्षों में चीनी सरकार द्वारा देश में किए गए दमन और राष्ट्रवादी भावनाएं भड़काने का असर आगे दिखाई पड़ेगा।

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