धार्मिक आंदोलन का इतिहास सामान्य ज्ञान Dharmik Andolon in Indian history

                  धार्मिक आंदोलन

सूफीवाद या सूफी आंदोलन (Dharmik Andolon)

•सूफी धर्म के धार्मिक गुरु 'पीर' एवं शिष्य 'मुरीद' कहलाते थे। प्रत्येक पीर अपना एक अनुचर नामांकित करता था, जिसे 'वली' कहा जाता था।

1. चिश्ती (Dharmik Andolon)

• 1192 ई. में मोहम्मद गोरी के साथ ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भारत आए। इन्होंने यहां चिश्ती परंपरा की शुरुआत की। चिश्ती परंपरा का मुख्य केंद्र अजमेर था।
• 'तोता-ए-हिंद' के नाम से मशहूर अमीर खुसरो एवं प्रसिद्ध इतिहासकार बरनी इस सिलसिले के अनुयायी थे।
• इसी सिलसिले के बाबा फरीद की रचनाएं गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल है।

2. सुहरावर्दी (Dharmik Andolon)

• इसके संस्थापक शिहाबुद्दीन सुहरावर्दी तथा हमीउद्दीन नागौरी (सुल्तान-ए-तरिकीन) थे। इसका मुख्यालय मुल्तान में था।
• इस सिलसिले के सन्त बड़े जागीरदार थे और उ येनके राज्य के साथ घनिष्ठ संबंध थे।
• इसके सुदृढ़ संचालन का क्षेत्र बदरुद्दीन जकारिया को है। सुहरावर्दी संप्रदाय के संतो ने राजकीय संरक्षण को स्वीकार किया।

3. फिरदौसी सिलसिला

यह फिरदौसी ने आरंभ किया था और बिहार में प्रसिद्ध था।
सूफी संत                          उपाधि
निजामुद्दीन औलिया        महबूब इलाही
गेसूदराज                      बंदी नवाब
शेख अहमद सरहिंदी      मुजाहिद
नासीरूद्दीन महमूद         चिराग-ए-दिल्ली

4. कादिरी सिलसिला

• यह इस्लाम में प्रथम रहस्यवादी पंथ था इसकी स्थापना शेख अब्दुल कादिर जिलानी ने की थी।
• भारत में इस सिलसिले की स्थापना का श्रेय सैयद मोहम्मद जिलानी को जाता है।

5. नक्शबंदी सिलसिला

इसकी स्थापना ख्वाजा बाकी विल्लाह ने की थी शेख अहमद सिरहिंदी इस सिलसिले के प्रमुख संत थे।

भक्ति आंदोलन

• इसकी शुरुआत 12 वीं शताब्दी के लगभग दक्षिण भारत में हुई।
• भक्ति आंदोलन के संतों ने जातिवाद की निंदा की, कर्मकाण्डो तथा यज्ञों का परित्याग करने पर बल दिया, महिलाओं के सशक्तिकरण को बल दिया तथा आम बोलचाल की भाषा में लोगों तक अपने संदेश पहुंचाएं।

भक्ति आंदोलन के मुख्य प्रवर्तक (Dharmik Andolon)

1. आचार्य रामानुज भक्ति आंदोलन के प्रवर्तक रामानुज का आर्विर्भाव 12 वीं शताब्दी में तमिलनाडु में हुआ। वह सगुण ईश्वर में विश्वास करते थे।
2. माध्वाचार्य मध्वाचार्य विष्णु के उपासक थे उनका मत था कि ज्ञान से भक्ति प्राप्त होती है और भक्ति से मोक्ष प्राप्त होता है (द्वैतवाद) ।
3. रामानंद प्रयाग (इलाहाबाद) में कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवार में जन्मे रामानंद उत्तरी भारत में भक्ति आंदोलन के मुख्य प्रवर्तक थे। वह रामानुज के शिष्य थे और भक्ति आंदोलन को दक्षिण से से उत्तर में प्रसारित करने में उनका योगदान उल्लेखनीय था। रामानंद के 12 शिष्य थे, जो विभिन्न जातियों के थे।
4. कबीर काशी में एक जुलाहे परिवार में जन्मे कभी भक्ति आंदोलन के मुख्य संचालकों में से एक थे। वे रामानंद के शिष्य तथा निर्गुण ब्रह्म के उपासक थे। सामाजिक कुरीतियों, अंधविश्वास, सांप्रदायिकता तथा छुआछूत के घोर विरोधी थे।
5. मीराबाई वे  मेड़ता के राठौर रत्न सिंह की पुत्री तथा राणा सांगा के जेष्ठ पुत्र प्रिंस भोजराज की पत्नी थी। वे कृष्ण की उपाधि का थी। उन्होंने घूम घूम कर सत्र कृष्ण भक्ति का प्रचार प्रसार किया।
6. चैतन्य बंगाल में जन्मे चैतन्य कृष्ण के उपासक थे। उन्होंने कर्मकांड  बाह्य आडंबर का विरोध किया तथा प्रेम एवं भक्ति पर विशेष बल दिया जाति-पाति तथा ऊंच-नीच का विरोध किया। उनके अनुयायी उन्हें विष्णु का अवतार मानते थे।
7. रैदास कबीर दास जी के समकालीन रैदास निर्गुण धारा के समर्थक थे। उनका पुनर्जन्म में विश्वास था उनका मत था कि मोक्ष प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ मार्ग भक्ति है।
8. नामदेव महाराष्ट्र में धार्मिक आंदोलन के प्रमुख नामदेव जाति प्रथा, बाह्य आडंबर एवं अंधविश्वास के कट्टर विरोधी थे।
9. एकनाथ एकनाथ की गणना महाराष्ट्र के महान विद्वान तथा समाज सुधारक के रूप में की जाती है।

              स्वतंत्र राज्यों का उदय

मोहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में दिल्ली सल्तनत का आकार विस्तृत हो गया था, परंतु मोहम्मद बिन तुगलक की महत्वाकांक्षी योजनाएं असफल रहने पर सीमांत क्षेत्रों में विद्रोह शुरू हो गए और नए स्वतंत्र राज्यों की उत्पत्ति हुई।
इनमें विजयनगर साम्राज्य तथा बहमनी साम्राज्य सर्व प्रमुख थे।


विजयनगर साम्राज्य (1336-1614 ई.)  

इस साम्राज्य  में चार प्रमुख वंशो का शासन रहा है।

संगम वंश (1336-1485 ई.)

• इस वंश की स्थापना हरिहर एवं बुक्का ने अपने गुरु विद्यारण्य की सहायता से 1336 ई. में की थी।
• देवराय प्रथम इस वंश का प्रमुख शासक था। उसने शहर में पानी की कमी को दूर करने के लिए तुंगभद्रा नदी पर एक बांध बनवाया , जिससे नहर निकाली गई।
• इटली के यात्री निकोलो कोण्टी ने उस के शासनकाल में विजयनगर की यात्रा की। तेलुगु कवी श्रीनाथ उसके दरबार का प्रसिद्ध कविता जिसने 'हरविलासम्' की रचना की।
• देवराय द्वितीय, संगम वंश का सर्वाधिक प्रतापी शासक था, जिसके शासनकाल में विजय नगर सर्वाधिक शक्तिशाली और समृद्ध हो गया था।
•देवराय द्वितीय को 'इंद्र' का अवतार माना जाता था।
• उसने 'महानाटक सुधानिधि' की रचना की और 'बादरायण' के 'ब्रह्मसूत्र' पर टीका लिखी।
• पर्शिया का राजदूत 'अब्दुल रज्जाक' उसके दरबार में आया।

सालुव वंश (1486-1502 ई.)

•उसके सेनानायक नरसा नायक ने उसके उत्तराधिकारी यों को समाप्त कर दिया।

तुलुव वंश (1503-1569 ई.) (Dharmik Andolon in Indian history)

• नरसा नायक का पुत्र वीर नरसिंह किस वंश का संस्थापक था, जिसने 1503-1509 ई. तक शासन किया।
• इसके बाद उसका भाई कृष्ण दव राय
 (1509-1529 ई.) विजयनगर का शासक बना। कृष्णदेव राय विजयनगर साम्राज्य का सर्वश्रेष्ठ शासक था।
• पुर्तगाली गवर्नर अल्बुकर्क ने कृष्णदेव राय से भटकल मैं दुर्ग निर्माण की अनुमति प्राप्त की।
• कृष्णदेव राय महान विद्वान तथा विद्या को सुरक्षा प्रदान करने वाला था। तेलुगु राजनीति पर लिखी गई 'अमुक्तमाल्यद्' तथा संस्कृत नाटक 'जाम्बवती कल्याणम्' उस की प्रसिद्ध रचनाएं हैं। उसे 'अभिनव भोज' के नाम से जाना जाता है।
• 1565 ई. में अहमदनगर, बीजापुर, गोलकुंडा ,बीदर के गठबंधन तथा सदाशिव के बीच हुए राक्षसी तंगड़ी अथवा 'तालीकोटा के युद्ध' बन्नी हट्टी में सदाशिव की हार हुई।

अराविडू वंश

• रामराय के भाई 'तिरुमला' ने इस वंश की स्थापना की। तालीकोटा के युद्ध के बाद प्रसिद्ध यात्री सीजर फ्रेडरिक ने विजयनगर की यात्रा की।
• इस वंश के शासक अच्युतराय के शासनकाल में पुर्तगाली यात्री 'फर्नाओ नूनिज' ने विजयनगर की यात्रा की।

बहमनी साम्राज्य (Dharmik Andolon in Indian history)

• बहमनी साम्राज्य की स्थापना अलाउद्दीन हसन बहमन शाह ने 1347 ई. में की। उसने गुलबर्गा को अपनी राजधानी बनाया।
• शिहाबुद्दीन अहमद प्रथम ने अपनी राजधानी गुलबर्गा से हटाकर बीदर में स्थापित की तथा बीदर का नया नाम मोहम्मदाबाद रखा।
• मोहम्मद तृतीय ने महमूद गंंवा को 'ख्वाजा जहां' की उपाधि दी तथा उसे अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया।
• मोहम्मद तृतीय के शासनकाल में रूसी यात्री निकितन बहमनी साम्राज्य की यात्रा पर आया।
• इस साम्राज्य का अंतिम शासक कलीमुल्लाह शाह तथा एवं उसकी मृत्यु के बाद बहमनी साम्राज्य 5 स्वतंत्र राज्यों में बट गया।

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